गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
इंसान कहाँ (हाइकु) / जगदीश व्योम
107 bytes added
,
03:45, 4 जून 2012
साँसों की ये मशीने
इंसान कहाँ !
कुछ कम हो
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा ।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
929
edits