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हाथ-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
खुदा
ख़ुदा
देता है
सब को
दो-दो हाथ
दुआ-दया-खिदमत
इनायत के लिए
फ़िर भी
कुछ लोग
कर लेने का
भ्रम पालते हैं
फ़िर
उठ ही जाते हैं हाथ
बद सबब में
.
।
</poem>
अनिल जनविजय
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