'''ट्यूबिंगेन, मई, 1976'''
जर्मन कवि ह्योएल्डर्लिन की एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय कविता है हाल्फ़्टेस डेस ले बैंस (जीवन का उत्तरार्द्ध)। इस में कवि शरदकालीन झील में किलोल करते हंस को सम्बोधन कर के अपने अतीत जीवन का उदास स्मरण करता है। (जर्मन कविता का ‘अज्ञेय’ कृत अनुवाद ‘नया प्रतीक’ के जर्मन साहित्य अंक में छपा है, एक अनुवाद संग्रह में भी छप रहा है।) ऋतु-सूचक चरखी की पंखियों की खनक कवि को काल की गति का स्मरण दिलाती है। प्रस्तुत कविता में ह्योएल्डर्लिन की ही शब्दावली का प्रयोग हुआ है; यों पूरी कविता जर्मन कवि की उक्ति पर एक टिप्पणी ही है। वह कविता ट्यूबिंगेन में नेकार नदी पर उसी स्थल के निकट लिखी गयी थी जहाँ ह्योएल्डर्लिन ने अपने पिछले दिन बिताये थे।
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