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23:58, 29 अगस्त 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=तिलक करें रघुवीर / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
बरसो, हे करुणा के जलधर !
मुझे बहा ले चलो, नाथ ! आनंद-सिन्धु के तट पर !
मेरे मन-प्राणों पर प्रतिक्षण
बरसो सावन की फुहार बन
धन्य बने, प्रभु ! मानव-जीवन
कृपा तुम्हारी पाकर
देखूँ झाँकी वृन्दावन की
राधा-माधव-प्रीति मिलन की
मैंने जो छवि युगल वरण की
गीतों में हो भास्वर
बरसो यों ! मेरे अंतर से
फूट चले स्वर के निर्झर-से
अक्षर-अक्षर से रस बरसे
रुके न धारा पल भर
बरसो, हे करुणा के जलधर !
मुझे बहा ले चलो, नाथ ! आनंद-सिन्धु के तट पर !
<poem>