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14:54, 30 अगस्त 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
<poem>
चिंता किस-किस की करिये !
मन तो एक लाख चिंतायें, किस-किसका मुँह भरिये
तन की, धन की या जीवन की चिंता से न उबरिये
या जीवन के बाद मिलेगा जो उसके हित मरिये
शासन-भीति, सुयश-चिंता में फूँक-फूँक पग धरिये
और न कुछ तो सदा अदेखे मरण पाश से डरिये
उतनी खाली होती जाती जितनी गागर भरिये
इस चिंताकुल भाग-दौड़ में कैसे कहाँ ठहरिये !
नहीं बनेगा कुछ, कितना भी बनिये और सँवरिये
सब चिंतायें सौंप उसी को पल में पार उतरिये
चिंता किस-किस की करिये !
मन तो एक लाख चिंतायें, किस-किसका मुँह भरिये
<poem>