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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई|
हाँ लुत्फ़ जब है पाके भी ढूँढा करे कोई|
तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना <ref>तमन्ना के त्याग का आदेश </ref> सुना दिया, किस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना <ref>तमन्ना का त्याग</ref> करे कोई|
दुनिया लरज़ <ref>काँप</ref> गई दिल-ए-हिरमाँनसीब <ref>नसीब के मारे हुए</ref> की,
इस तरह साज़-ए-ऐश न छेड़ा करे कोई|
[हिरमाँनसीब=नसीब के मारे हुए]
मुझ को ये आरज़ू वो उठायें नक़ाब ख़ुद,
उन को ये इन्तज़ार तक़ाज़ा करे कोई|
रन्गीनीरंगीनी-ए-नक़ाब में ग़ुम हो गई नज़र,
क्या बे-हिजाबियों का तक़ाज़ा करे कोई|
</poem>
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