Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=‘शुजाअ’ खावर }} {{KKCatGhazal}} <poem> क्या किया ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=‘शुजाअ’ खावर
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क्या किया जाए यही अल्लाह को मंज़ूर है
दिल्ली आकर भी ये लगता है कि दिल्ली दूर है

वो तजल्ली<ref>प्रकाश</ref> है न मूसा<ref>हजरत मूसा</ref> है , न कोहे-तूर <ref>माउण्ट सायनाई</ref> है
लम्हा-ए-मौजूद <ref>वर्तमान क्षण</ref> इम्कानात<ref>संभावनाओं </ref> से भरपूर है


हर मिसल<ref>लोकोक्ति</ref> को तजरिबों <ref>अनुभव</ref> ने मेरे झुठलाया बहुत
तजरिबे गुमनाम हैं और हर मिसल मशहूर है

आजकल बस शायरी करता है रोज़-ओ-शब ‘शुजाअ’
शह्र ही ऐसा है, बेचारा बड़ा मजबूर है

</poem>
{{KKMeaning}}