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00:03, 7 नवम्बर 2012 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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<poem>
आनन्द की लहर-लहर लहराई सजीली सखी,
वृन्दावन गोपाल लाल मेरो मन लुभायो है |
श्यामा के संग-संग रंगीलो सयानो श्याम,
सुबरन के स्वर्ण कलश रंग घोल लायो है |
शिवदीन कहे धन्य-धन्य वृजराज राज राजेश्वर,
धन्य संत साधू सत्य गोविन्द गुण गायो है |
सुन्दर ऋतुराज आयो सबही ने सरायो ईन्हे,
मगन भये संत यो बसंत रंग छायो है |
<poem>