आनन्द की लहर-लहर लहराई सजीली सखी,
वृन्दावन गोपाल लाल मेरो मन लुभायो है |
श्यामा के संग-संग रंगीलो सयानो श्याम,
सुबरन के स्वर्ण कलश रंग घोल लायो है |
शिवदीन कहे धन्य-धन्य वृजराज राज राजेश्वर,
धन्य संत साधू सत्य गोविन्द गुण गायो है |
सुन्दर ऋतुराज आयो सबही ने सरायो ईन्हे,
मगन भये संत यो बसंत रंग छायो है |