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नग़्मगी नग़्मासरा है और नग़्मों में गुहार / द्विजेन्द्र 'द्विज'
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09:23, 16 जनवरी 2013
बारिशों में भीगना इतना भी है आसाँ कहाँ
मुद्दतों
तपती ज़मीं
तप कर तो धरती
ने
भी
किया है इन्तज़ार
आसमाँ ! क्या अब तुझे भी लग गया बिरहा का रोग?
द्विजेन्द्र द्विज
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