Changes

जाय यो काज तो तुच्छ सरायो ।
केसरी पुत्र कछु न करी अहो !
स्वर्ण की लंक को जय जाय जरायो ।
त्रिभुवन नाथ मदन को जारि के,
लोक आनन्द को दूर दुरायो ।
514
edits