गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
प्रेमधारा / ‘हरिऔध’
6 bytes removed
,
05:58, 9 मई 2013
जो सत्ता है नित्य सत्य चिन्मयी अनूपा।
संस्कृति
संसृति
मूली भूत परम आनन्द स्वरूपा।
विश्व-व्यापिनी विपुल-सूक्ष्म जिसकी है धारा।
वस्तुमात्र में है विकास जिसका अति न्यारा।
Mani Gupta
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits