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आखिरी जाम / आन्ना अख़्मातवा
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06:51, 14 मई 2013
उस झूठ के लिए जिसने धोखा ही दिया है लगातार
इस भदेस, क्रूर, ज़ालिम दुनिया के लिए
उस
प्रभ
प्रभु
, उस ईश्वर के लिए
जिसने नहीं की कोई कोशिश
और बचाने से बचता रहा हर बार।
अनिल जनविजय
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