भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आखिरी जाम / आन्ना अख़्मातवा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: आन्ना अख़्मातवा  » आखिरी जाम

मैं पीती हूँ -
अपने ढहा दिए गए घर के लिए
तमाम-तमाम दुष्टताओं के लिए
तुम्हारे लिए
संगी-साथी की तरह हिलगे अकेलेपन के लिए...
हाँ....इन्हीं सबके लिए
उठाती हूँ अपना प्याला।

मुर्दनी आँखों के लिए
उस झूठ के लिए जिसने धोखा ही दिया है लगातार
इस भदेस, क्रूर, ज़ालिम दुनिया के लिए
उस प्रभु, उस ईश्वर के लिए
जिसने नहीं की कोई कोशिश
और बचाने से बचता रहा हर बार।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह