561 bytes added,
01:07, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जो गीत
गा रही हो तुम
पहले भी मैंने
सुना है- कई बार
पर सुन रहा हूं इसे
तुमसे पहली बार।
लगा मुझे
शब्द तो वही हैं
लेकिन अर्थ नए
रचे तुमने
या समय ने!</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader