गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
शिशु / मनबोध
3 bytes removed
,
16:52, 1 जून 2013
जतय अछल दुइ बिर्छ अकाय।।
जमला अर्जुन कनला-नाथ।
जुगुति उपारल छुइल न
हाथ।ं
हाथ।
खसल महातरू हँसल मुरारि।
भेल अघात जगत परचारि।।
सशुल्क योगदानकर्ता २
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits