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क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'

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* [[ ऐ दिला हम हुए पाबंद-ए-गम-ए-यार के तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत']]* [[बुलबुल सुने न क्यूँके कफस में चमन की बात / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत']]* [[गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत']]* [[इतना बतला के मुझे हरजाई हूँ मैं यार कि तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत']]* [[सौत-ए-बुलबुल दिल-ए-नालाँ ने सुनाई मुज को / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत']]
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