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क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
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क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
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जन्म | 1748 |
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निधन | 1809 |
उपनाम | ज़ुरअत |
जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत' / परिचय |
- ऐ दिला हम हुए पाबंद-ए-गम-ए-यार के तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- बुलबुल सुने न क्यूँके कफस में चमन की बात / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- इतना बतला के मुझे हरजाई हूँ मैं यार कि तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- सौत-ए-बुलबुल दिल-ए-नालाँ ने सुनाई मुज को / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'