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रद्दी अखबार से हम / राजेश श्रीवास्तव
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03:41, 10 जून 2013
पड़े रहे मेहनतकश की खोली में
उघड़े
प्यारे
प्यार
-से हम
लेकर परदों के भ्रम ।
Mani Gupta
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