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तेरी-मेरी जीवन-कथा / निश्तर ख़ानक़ाही
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05:36, 3 जुलाई 2013
जीवन-मरण का योग था, उसका मेरा, होगा कभी
अब ज़िंदगी मिलती है यूँ, पल-भर की जैसे दाश्ता
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1- साअत--समय
2- मफ़हूम--अर्थ
Sharda suman
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