<poem>
कब चलता है काम समय से कट के
सीखो नई सदी के लटके-झटके
पोथन्नों पर पोथन्ने पढ़कर पढ़ कर किसने क्या पायासारी सुख-सुविधाएँ त्यागीत्यागीं, नाहक समय गंवायागँवाया
कॉलिज टॉप हुआ वो लड़का ट्वेन्टी क्वेशचन रट के
सीखो नई सदी के ................................................
दो धन दो को चार सिद्ध करते रह गए अभागे
सात पे नौ उनहत्तर जिनने बाँचा जिनने वो हैं आगेकरतब अजब गज़ब हैं भइया भ्रष्टाचारी नट विद्या नई, पुरानी विद्याओं से है कुछ हट के सीखो नई सदी के ...............................................
सस्ते में निपटीं सत्ताएँ घोर असंगत है अब संगत सच्चे इंसानों की दसों उंगलियाँ घी में रहतीं रहती हैं बेईमानों की
देव खड़े ललचाएँ अमरित असुर गटागट गटके
सीखो नई सदी के ...............................................
स्वयं रहो कथनी-करनी में समानता का मत ढोंग रचानाख़ुद रहना सिद्धान्तहीन सबको आदर्श रटाओरटानाजैसी सटती जाए उन्नति का जब तक जम कर खूब सटाओअच्छा रखो हाज़मा अपना खाए जाओ डट के मिले सुअवसर लाभ उठाना डटके सीखो नई सदी के ...............................................
रावण, कंस और दुर्योधन की धुकती है इक्कर
हार गए हैं राम, कृष्ण और , अर्जुन ले ले कर टक्कर
अब किसमें दम है जो फोड़े पापों के ये मटके
सीखो नई सदी के ...............................................
</poem>