कब चलता है काम समय से कट के / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
कब चलता है काम समय से कट के
सीखो नई सदी के लटके झटके
पोथन्नों पर पोथन्ने पढ़ कर किसने क्या पाया
सारी सुख सुविधाएँ त्यागीं, नाहक समय गँवाया
कॉलिज टॉप हुआ वो लड़का ट्वेन्टी क्वेशचन रट के
सीखो नई सदी................................................
दो धन दो को चार सिद्ध करते रह गए अभागे
सात पे नौ उनहत्तर जिनने बाँचा वो हैं आगे
विद्या नई, पुरानी विद्याओं से है कुछ हट के
सीखो नई सदी...............................................
घोर असंगत है अब संगत सच्चे इंसानों की
दसों उंगलियाँ घी में रहती हैं बेईमानों की
देव खड़े ललचाएँ अमरित असुर गटागट गटके
सीखो नई सदी...............................................
कथनी-करनी में समानता का मत ढोंग रचाना
ख़ुद रहना सिद्धान्तहीन सबको आदर्श रटाना
उन्नति का जब मिले सुअवसर लाभ उठाना डटके
सीखो नई सदी...............................................
रावण, कंस और दुर्योधन की धुकती है इक्कर
हार गए हैं राम, कृष्ण, अर्जुन ले ले कर टक्कर
अब किसमें दम है जो फोड़े पापों के ये मटके
सीखो नई सदी...............................................