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ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
बस जैसी आरज़ू थी वो चाहत यह हुआ कि हस्बे-ज़रुरत नहीं मिली
दौलत है, घर है, ख़्वाब हैं, हर ऐश है मगर
फिर भी ये लग रहा है कि क़िस्मत बस जिसकी आरज़ू थी वो चाहत नहीं मिली
रोका बहुत मगर वो मुझे छोड़कर गएउससे हमारा क़र्ज़ उतारा नहीं गयाइन आंसुओं को की आज भी क़ीमत नहीं मिली
इस ज़िंदगी में ख़्वाब-ओ-ख़यालात भी तो देखे गए हैंजागती आँखों से कितने ख्वाब
हमको ये सोचने की भी मोहलत नहीं मिली