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ऐसा नहीं कि हमको मोहब्बत नहीं मिली.. / श्रद्धा जैन
Kavita Kosh से
ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
बस यह हुआ कि हस्बे-ज़रुरत नहीं मिली
दौलत है, घर है, ख़्वाब हैं, हर ऐश है मगर
बस जिसकी आरज़ू थी वो चाहत नहीं मिली
उससे हमारा क़र्ज़ उतारा नहीं गया
इन आंसुओं की आज भी क़ीमत नहीं मिली
देखे गए हैं जागती आँखों से कितने ख्वाब
हमको ये सोचने की भी मोहलत नहीं मिली
हालाँकि सारी उम्र ही गुज़री है उनके साथ
“श्रद्धा” मेरा नसीब कि क़ुरबत नहीं मिली