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एक लड़का / इब्ने इंशा
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05:19, 9 जुलाई 2013
खै़र महरूमियों के वो दिन तो गए
आज मेला लगा है इसी शान से
आज
चाहूं
चाहूँ
तो इक-इक दुकां मोल
लूं
लूँ
आज
चाहूं
चाहूँ
तो सारा जहां मोल
लूं
लूँ
नारसाई का जी में धड़का कहां ?
पर वो
छोट
छोटा
-सा अल्हड़-सा लड़का
कहां
कहाँ
?
</poem>
नारसाई=असमर्थता
Sharda suman
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