गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
का ले जैबो, ससुर घर ऐबो / कबीरदास
25 bytes added
,
11:58, 24 अगस्त 2013
}}
{{KKCatPad}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>का ले जैबो, ससुर घर ऐबो।। टेक।।
गाँव के लोग जब पूछन लगिहैं, तब तुम का रे बतैबो ।। 1।।
Mani Gupta
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits