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का ले जैबो, ससुर घर ऐबो / कबीरदास

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का ले जैबो, ससुर घर ऐबो।। टेक।।
गाँव के लोग जब पूछन लगिहैं, तब तुम का रे बतैबो ।। 1।।
खोल घुंघट जब देखन लगिहैं, तब बहुतै सरमैबो ।। 2।।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, फिर सासुर नहिं पैबो ।। 3।।