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म्हारौ दान / अर्जुनदेव चारण
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07:02, 15 अक्टूबर 2013
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatRajasthaniRachna
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<Poem>
ओ थारौ माथौ
ऐ थारी आंखियां
थारै होवण री
तासीर छिपियोड़ी है
</Poem>
Sharda suman
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