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चोथी आळी बांचणियां नै / तेजसिंह जोधा
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06:09, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{
KKCatMoolRajasthani
KKCatRajasthaniRachna
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कीं तो खायग्यो राज
कीं लिहाज
अर रह्यो-सह्यो खायगी चूंध’र खाज
-चौथी ओळी बांचणियै नै
जचै ज्यूं मांडो
आज ।
आज।
</poem>
Sharda suman
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