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चोथी आळी बांचणियां नै / तेजसिंह जोधा
Kavita Kosh से
कीं तो खायग्यो राज
कीं लिहाज
अर रह्यो-सह्यो खायगी चूंध’र खाज
-चौथी ओळी बांचणियै नै
जचै ज्यूं मांडो आज।