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में कोनी बजाऊं
 
मने बजावे है
 
ओ सितार,
 
बंध्योडी है ईं री झंणकार स्यूं
 
म्हारी चेतना
 
जियां दिये री बाती स्यूं लो
 
छु'र ईं रा तार
 
पकड़ ले गत आंधी आंगल्याँ
 
सुण'र ईं री धुन
 
सगुण बण ज्यावे निर्गुण !
 
 
</Poem>
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