Changes

सावण-एक / शिवदान सिंह जोलावास

755 bytes added, 04:35, 18 अक्टूबर 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदान सिंह जोलावास |संग्रह= }} [[Categor...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदान सिंह जोलावास
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
<poem>च्यारूं कानी हरियाळी री ओढणी
ओढ्यां आवै सावण।

बूंद-बूंद बिरखा
बिरखा वाळा बादळ
बादळ जितरा ऊंचा मगरा
मगरां रो जंगळ
जंगळ साथै
तळाव, नदी, नाळा अर झील।

झील रै वणी कनारै
ऊगतो सूरज
सूरज साथै सुपनो
इयां आवै सावण।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits