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{{KKRachna
|रचनाकार=शम्भुदान चारण
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>
नभ वाय वखोणीय, तेजस पौणीय , भूमि भागोणीय जग जठे
महा भूत भिगोणीय , देह वाणोंणीय , प्राकृत जोणीय पिंड जठे
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