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06:08, 26 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हरकीरत हकीर
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<poem>जब मुहब्बत का
चाँद चढ़ा
कई सारी नज्में
कागचों पर उतर आईं
उसके ख्यालों की भी
और मेरे ख्यालों की भी
ईद हो गई …।
</poem>
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