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कादम्बरी / पृष्ठ 123 / दामोदर झा

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चन्द्रापीड़ शरीर हमर ई अहाँ दुहू लग रहते
कादम्बरी परस अमृतहिसँ आप्लावित नहि सड़ते॥
 
27.
ई शापान्त दिवस धरि सूतल जकाँ रहत नहि फेकब