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पशु विदाई / सुभाष काक

25 bytes added, 05:37, 14 नवम्बर 2013
|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
}}{{KKCatKavita}}<poem>
पशु की एक दृष्टि
कितना कह सकती है?
तब पशु से विदाई
सह्य हो जाती है।
</poem>