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नगर / सुभाष काक

25 bytes added, 05:41, 14 नवम्बर 2013
|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
}}{{KKCatKavita}}<poem>
नगर एक कारागार है।
जो धरती पर राज करे
फूल भी अतिथि से
मिलने को आतुर हैं।
</poem>