Changes

कठै है...? / सिया चौधरी

1,362 bytes added, 15:19, 23 नवम्बर 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatRajasth...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सिया चौधरी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>अखबार सागै करल्यां हां
दो बात देस-दिसावर री
बारणै तांई जातां-जातां
खिंडाय आवूं मुळक
जोरांमरदी।

पछै फिरती फिरूं घर मांय
कांई ठाह कांई सोधूं
उमणी-दुमणी सी
लागै कीं गमग्यो दीसै।

गिणूं एकोएक चीज नैं
सगळी आपो आपरी जाग्यां
पछै वो कांई है, जिको
लेयग्यो म्हारा सगळा भाव?

अरे! कठै है वा आस
जिण नैं सागै लेय’र आयी ही म्हैं
अर कठै है वो भरोसो
जिण री डोरी सूं बंधगी ही म्हैं

कठै है वो अमर प्रेम
जिण रै गमण रो तो
सुपना में ई सोच्यो नीं हो
लागै है-
कठैई ऊंडो जाय’र लुकग्यो दीसै....।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits