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01:43, 9 जनवरी 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=किशोर कुमार निर्वाण
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>मकड़ी बणावै जाळ
पतळो अर झीणो-झीणो
जकै मांय फंस जावै
केई जीव-जंत
गंवा देवै
आपरी जान।
मिनख ई बणावै जाळ
बिना धागां रो झीणो-झीणो
जको दीखै ई नीं
फंस जावै
केई जीव-जंत
अर भोळा मिनख
खो देवै सो क्यूं ई!</poem>