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01:44, 9 जनवरी 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=किशोर कुमार निर्वाण
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>लारलै दिनां
जद जावणो पड़्यो जैसलमेर
थोड़ै सै आंतरै माथै
दीखै ही जकी जमीन
वा पाड़ोसी देस री ही।
उण खेत मांय
काम करता किरसान
पाड़ोसी देस रा हा।
म्हनैं घणो अचंभो हुयो
उण जमीन
अर इण जमीन मांय
कीं फरक नीं हो
उण खेत रा किरसान
अर म्हारै बिचाळै ईज
कीं फरक नीं हो!</poem>