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::गांधी हो कि ग़ालिब हो, इन्साफ़ की नज़रों में,
::हम दोनों के क़ातिल हैं, दोनों के पुजारी हैं
तुर्बत= क़ब्र; मसकन= निवासस्थान; वादा-ए-फ़रदा= कल के लिए किया गया वायदा
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