गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कच्चे फल / हरिऔध
7 bytes removed
,
14:26, 23 मार्च 2014
{{KKCatKavita}}
<poem>
हो गया ब्याह लग गईं जोंकें।
फूल से गाल पर पड़ी झाईं।
सूखती जा रहीं नसें सब हैं।
भीनने भी मसें नहीं पाईं।
पड़ गया किस लिए खटाई में।
क्यों चढ़ी रूप रंग की बाई।
फिर गई काम की दुहाई क्यों।
मूँछ भी तो अभी नहीं आई।
</poem>
Gayatri Gupta
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits