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हँसती-खिलती सी गुड़िया, इक लम्हे में बेकार हुई / श्रद्धा जैन
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21:02, 26 अप्रैल 2014
मेरे जीवन की पीड़ा ही, दोधारी तलवार हुई
ये
गर्म फ़ज़ा झुलसाएगी, पैरों में छाले लाएगी
जो देती थी साया मुझको, दूर वही दीवार हुई
Shrddha
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