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18:06, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
माना, समझ नहीं पाया मैं
या समझने का
प्रयास ही नहीं किया
थी भूल मेरी
या कि
नासमझी
करता हूँ कोशिश
पर डरता रहा
समझने से
तुम्हारी समझ को
करता सलाम।</poem>