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सलाम / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
माना, समझ नहीं पाया मैं
या समझने का
प्रयास ही नहीं किया
थी भूल मेरी
या कि
नासमझी
करता हूँ कोशिश
पर डरता रहा
समझने से
तुम्हारी समझ को
करता सलाम।