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18:33, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>काया नहीं स्मृति संभालो
काया केवल भ्रम नहीं है
चिन्ता काया की नहीं
स्मृति की करो
स्मृति की निरन्तरता रखो
काया का क्षरण
मृत्यु से नहीं
क्षरण तो
स्मृति खोने से होता है
काया की स्मृति का
क्षरण रोको .......
नई पीढ़ी की स्मृति
की चुनौती स्वीकारो
काया ही स्मृति होती है
काया की स्मृति का
क्षरण रोको .......
</poem>