गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आवत है बन ते मनमोहन / रसखान
1 byte removed
,
05:30, 7 जून 2014
|संग्रह=
}}
{{
KKCatNazm
KKCatPad
}}
<poem>
आवत है बन ते मनमोहन, गाइन संग लसै ब्रज-ग्वाला।
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits