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मान लिया है मझधारों से, ठोकर मिली किनारों से / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
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20:21, 16 जून 2014
<poem>
मान लिया है मझधारो से, ठोकर मिली किनारों से
प्यार मिला है
पतझारों
पतझरों
से, नफ़रत मिली बहारों से
पास गया जब फूलों के तो सब ने ही मूँह फेर लिया
Sharda suman
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