::::तब मैं बहुत छोटा था
:::कौन्सालकौन साल, कौन मास और कौन दिन था
::::यह दब सब कुछ याद नहीं,
::::जानता भी नहीं था,
बुआ ने पूछा : जो किताबें अभी ली गई तीं थीं उसको क्या पढ़ लिया
मैंने कहा : कब न पढ़ा, अब तो नई चाहिए, और सब ख़रीद चुके
::::::अब नई लेनी हैं, किताबें पुरानी बेकार हैं
बुआ ने कहा : किसी लड़के से मांग लो ना, तुमसे जो आगे पड़ता पढ़ता रहा हो,
::वह दर्ज़ा पास कर चुका हो अब, जिसमें तुम नए-नए आए हो,
बुआ ने कहा : आज मदरसे तुम चले जाओ, मास्टर से कह देना :
::::पैसे आज नहीं मिले, कल तक मिल जाएंगे
पढ़-लिख कर क्या होगा, पढ़ना अब बन्द करो इसका, घर काम करे,
:पढ़ना हमारे नहीं सहतसहता, पर बात मेरी कौन यहाँ सुनता है ।
रान-परोसी कहते हैं, लड़का इन्हें भारी है, इसी राह खो रहे हैं ।