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17:52, 29 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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<poem>
हथिनी दीदी बैठ ट्रेन में,
निकल पड़ीं भोपाल को|
धुम चुक धुम चुक बजा रहीं थीं,
अपने सुंदर गाल को|
तभी अचानक टी टी आया,
बोला टिकिट कहाँ ताई,
हथनी बोली टिकिट मांगकर,
तुमको शरम नहीं आई|
टिकिट काउंटर इतना छोटा,
सूंड़ नहीं घुस पाई थी |
इस कारण से टी टी भैया,
टिकिट नहीं ले पाई थी|
पहिले आप टिकिट की खिड़की,
खूब बड़ी करवाओ|
उसके बाद श्री टी टीजी,
टिकिट मांगने आओ</poem>